Facts About Shodashi Revealed
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The power issue in the midst of the Chakra displays the very best, the invisible, and the elusive Middle from which the entire determine Bhandasura and cosmos have emerged.
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा
By far the most revered amongst these will be the 'Shodashi Mantra', which happens to be mentioned to grant both worldly pleasures and spiritual liberation.
॥ इति श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः सम्पूर्णः ॥
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
The Shodashi Mantra instills tolerance and resilience, supporting devotees continue being regular through troubles. This benefit permits persons to technique road blocks with calmness and determination, fostering an internal power that supports individual and spiritual growth.
वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर Shodashi देवताया: ।।
हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे
More from this Author Bhairavi Sharma is an author of a few novels on Amazon. She is practicing meditation through the time she was ten years previous. Whatsoever she shares on her own blog site and here, on Mystical Bee, comes from studying, exploration and working experience.
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
Her job transcends the mere granting of worldly pleasures and extends towards the purification from the soul, bringing about spiritual enlightenment.
सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥
, the creeper goddess, inferring that she is intertwined along with her legs wrapped close to and embracing Shiva’s legs and system, as he lies in repose. Being a digbanda, or protecting drive, she principles the northeastern route from whence she offers grace and protection.